दीवार कभी ना बनाने देना चाचा जी ने कहा था सत्य पर आधारित है मेरे जीवन पर

एक हकीकत कथा अप बात बात हु मेरे चाचा जी ओर पिता जी मै झड़ा था मेरी शादी थी चाचा जी दीवार खडा़ कर वा रहे थे मै उनके पास गाया पेर छुए बोल काम बन्द करो वो चूप थे पाता है मै पिता जी ओर चाचा को एक ही रंग का एक ही डिजाईन का लाता था माता जी ओर चाची को भी चेरे भाई भी थे वही पे मै उठा दीवार पर लात मारी दीवार गिर गाई चाचा चूप थे बोले मजदूर से फिर से बनाओ फिर थोडी बनी मेन फिर गिर दी अंत मै चाचा जी उठे ओर खुद दीवार जाओ थोडी सी बनी थी गिरा दी ओर मेरी पीठ ओर हाथ मार हंस के बोले लो बन गाई दीवार येह दीवार कभी ना खड़ी होने देना मूझे गले लागा कर रोए ओर पिता जी से बोले चलो कपड़े पहनो शॉपिंग करनी है

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