शुभ रात्रि
तेरे बिना न आँख खुलती है
न सुबह होती है
तेरे बिना न आँख लगती है
तेरे बिना नीद लगती है
तेरी लता लगाई है मुझे सायद
जिधर देखु तेरी सूरत नजर आती मुझे
तू ससो में बस गई है सायद
तेरे बिना यह भी नहीं चलती है
सुभ रात्रि ://hindurashtrasandesh.blogspot.com/2021/03/blog-post_39.html
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें